फाजिल्का नगर सुधार ट्रस्ट का पिछले काफी समय से फाजिल्का के शहरी सीमा में पड़ते जमीन के मालिकों से अधिग्रहण संबंधी विवाद चल रहा है। ट्रस्ट ने कई आवासीय व कमर्शियल योजनाओं के नाम पर शहर के भीतर व सीमा में पड़ती विभिन्न जमीनों को अधिग्रहण करने के नोटिस निकाले थे। इसे लेकर जमीन के मालिकों में रोष है।
अब ट्रस्ट द्वारा अखबारों में समय समय पर इस बारे में विज्ञापन भी दिए जा रहे हैं। ट्रस्ट के अधिग्रहण के खिलाफ गत दिनों फाजिल्का के कई जमीन मालिक चंडीगढ़ में तीक्ष्ण सूद से मिलने भी गए थे। बातचीत में सूद ने स्पष्ट किया था कि जबरन किसी से भी जमीन नहीं ली जाएगी।
ट्रस्ट द्वारा अधिग्रहण का नोटिस पाए एक जमीन मालिक श्रवण कुमार ने दैनिक जागरण को बताया कि उन्हें व अन्य जमीन मालिकों को पिछले साल सितंबर में नोटिस मिले थे। उन्होंने अपनी आपत्तियां ट्रस्ट को लिखित तौर पर भेज दी थीं। लेकिन ट्रस्ट ने आपत्तियों का न तो निराकरण किया और न ही उनका पक्ष सुनने के लिए बुलाया। ट्रस्ट द्वारा अखबारों में नोटिस निकालकर जन सूचनाओं के नाम पर जमीन मालिकों को परेशान किया जा रहा है, जबकि ट्रस्ट के पास चालीस पचास लाख से अधिक का फंड ही नहीं है और जितनी जमीनों के अधिग्रहण के लिए नोटिस निकाले गए हैं, उनके डीसी रेट ही 15 करोड़ के करीब बनते हैं।
इस बारे में जब ट्रस्ट के चेयरमैन महेंद्र प्रताप धींगड़ा से बात की गई तो उन्होंने माना कि हमारे पास फंड बेशक कम हैं, लेकिन हमारी विभिन्न बैंकों से योजनाओं के लिए आर्थिक मदद देने की बात चल रही है।
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ट्रस्ट की योजना को मंजूरी नहीं, जबरन नहीं ली जाएगी जमीन : सूद
फाजिल्का नगर सुधार ट्रस्ट की ओर से जमीन मालिकों को भेजे जा रहे नोटिस पर स्थानीय निकाय मंत्री तीक्ष्ण सूद ने साफ किया है कि नगर सुधार ट्रस्ट फाजिल्का की ओर से भेजी गई किसी भी आवासीय या कमर्शियल योजना को विभाग की ओर से मंजूरी नहीं दी गई है। अगर किसी परियोजना के लिए जमीन का मालिक अपनी जमीन देने का इच्छुक नहीं है तो जबरन कोई भी जमीन अधिग्रहित नहीं की जाएगी। दैनिक जागरण द्वारा इस विवाद बारे में सूद का कहना था कि फाजिल्का नगर सुधार ट्रस्ट का विभाग के पास ऐसा कोई मामला आता भी है तो जबरन कोई जमीन अधिग्रहित नहीं की जाएगी।
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ट्रस्ट को नोटिस का अधिकार पर अंतिम निर्णय विभाग का
फाजिल्का : पंजाब टाउन इंप्रूवमेंट एक्ट 1922 के तहत स्थानीय निकाय विभाग की स्वायत संस्थाएं व ट्रस्ट जनहित में सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव स्थानीय निकाय विभाग को भेज सकती हैं। इसके तहत एक्ट की धारा 36, 38, 40 व 41 के तहत नोटिस निकालकर यह प्रक्रिया शुरू की जाती है। लेकिन अंतिम फैसला स्थानीय निकाय विभाग द्वारा ही लिया जाता है।
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