Saturday, September 24, 2011

शहर का दिल बने नो व्हीकल जोन- Sector 17 Chandigarh and Ecocab

चंडीगढ़. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को 'शहर के दिल' यानी सेक्टर 17 को नो व्हीकल जोन में तबदील करने का सुझाव दिया है। जस्टिस सूर्यकांत एवं जस्टिस अजय तिवारी की खंडपीठ ने कहा कि प्रयोग के तौर पर सेक्टर 17 को पूरी तरह से वाहनों से मुक्त किए जाने की आवश्यकता है। सभी वाहन सेक्टर से बाहर खड़े किए जाएं। इसमें लाल बत्ती वाहनों को भी शामिल किया जाए। 

इसके बाद प्रत्येक व्यक्ति ईको कैब या ईको रिक्शा से सेक्टर 17 में घूमे। खंडपीठ ने कहा कि इसके लिए प्रशासन को एक कड़ी नीति बनानी होगी, जिसे कड़ाई से लागू भी करना होगा। हाईकोर्ट ने पंजाब व हरियाणा को भी ईको रिक्शा को प्रोत्साहित करने के लिए इस तरह का प्रयोग किसी एक शहर में करने का सुझाव दिया है। अदालत ने मामले पर 21 अक्टूबर के लिए अगली सुनवाई तय की है। 

खंडपीठ ने कहा कि जिस तरह चंडीगढ़ प्रशासन ने ड्रंकन ड्राइ¨वग को रोकने में सख्ती दिखाई और बेहतर नतीजे हासिल किए, इसी तरह नो व्हीकल जोन पर भी काम करने की जरूरत है। प्रशासन यदि मुस्तैदी दिखाए तो शहर के दिल को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त किया जा सकेगा। चंडीगढ़ इस मामले में दूसरे शहरों के लिए एक उदाहरण बन सकता है और अन्य शहरों में भी इस तरह के प्रयोग करने का रास्ता बन सकेगा। ऐसे में प्रशासन को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। इससे शहर में ईको रिक्शा के चलन को भी बल मिलेगा जो पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण की दिशा में एक कारगर उपाय होगा। 

नाइट फूड स्ट्रीट: महंगा खाना, मात्रा भी कम

सेक्टर 14 में शहर के एकमात्र नाइट फूड स्ट्रीट में सुरक्षा की जिम्मेदारी चंडीगढ़ पुलिस के एक कांस्टेबल के सिर है। ऐसे में रात को यहां खाना खाने वालों की सुरक्षा की जिम्मेदारी को लेकर पुलिस कितनी सतर्क है, इसका बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है। हाईकोर्ट में यह जानकारी अदालत के सहयोगी (एमिक्स क्यूरी) वकील अतुल लखनपाल ने अपनी रिपोर्ट में दी है।

लखनपाल ने रिपोर्ट में कहा कि खाने की कीमत ज्यादा है, जबकि मात्रा कम। जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस अजय तिवारी की खंडपीठ ने इसके बाद एमिक्स क्यूरी व प्रशासन की तरफ से एक साथ दौरा कर रिपोर्ट देने का निर्देश देते हुए मामले पर 21 अक्टूबर के लिए अगली सुनवाई तय की है। 

इससे पहले नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर ललित सिवाच ने जवाब दायर कर कहा था कि नाइट फूड स्ट्रीट पर गठित कमेटी ही खाने के दाम व रखरखाव का काम करेगी। शहर का सर्वे कर पाया गया कि कुल 5550 रेहड़ी-फड़ी वाले सड़क के किनारे अपना काम कर रहे हैं। 500 लाइसेंस धारक फड़ी वाले भी हैं। 

ऐसे में नाइट फूड स्ट्रीट को रात में खाना खाने के लिए एक शानदार जगह के रूप में विकसित किया जाएगा। पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि नाइट फूड स्ट्रीट पर प्रशासन से पॉलिसी बनाने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन प्रशासन खरा नहीं उतर रहा। अदालत ने पूछा कि अक्टूबर 2010 से चंडीगढ़ प्रशासन इस पर पालिसी बनाने में नाकाम क्यों है? लग रहा है कि अधिकारियों के पास इस काम के लिए समय नहीं है।

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