शहर के बुद्धिजीवी फाजिल्का को प्रकृति की अनमोल भेंट बाधा झील को बचाने के लिए एकजुट हो गए हैं। पुडा ने इसके किनारे कालोनी बनाने की घोषणा की है, जबकि इसका विरोध कर रहे बुद्धिजीवियों ने किसी भी हालत में झील का अस्तित्व समाप्त न होने देने का संकल्प लिया है।
गौरतलब है कि कांग्रेस सरकार के दौरान मिनी सचिवालय के साथ ज्यूडीशियल कांपलेक्स बनाने के लिए दी जगह के एवज में एसडीएम रेजीडेंस के साथ लगती बाधा झील के किनारे वाली जगह पुडा को सौंप दी गई थी। पुडा ने अब इस जमीन पर कालोनी काटकर बेचने का इश्तिहार जारी किया है।
उधर, बाधा झील का अस्तित्व बचाने के लिए जुटी ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन और शहर के अन्य बुद्धिजीवी इसके विरोध में लामबंद हो गए हैं। एसोसिएशन के संरक्षक भूपेंद्र सिंह व सचिव इंजीनियर नवदीप असीजा ने बताया कि पंजाब के 32 वैट लैंड में शामिल फाजिल्का की बाधा झील का पानी सूखने से पहले से ही उसके अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। उस पर रही-सही कसर हमारे नेताओं ने ज्यूडीशियल कांपलेक्स के बदले झील के आसपास की आठ एकड़ जगह पुडा को सौंपकर पूरी कर दी है। पुडा ने भी उक्त प्राइम लैंड की कीमत को भुनाने के लिए प्लाट काटकर बेचने की योजना तैयार कर ली है, जो किसी भी सूरत में पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से सही नहीं है।
एसोसिएशन और शहर की अन्य संस्थाएं जहां झील को फिर से सजीव कर पिकनिक स्पाट बनाने के लिए कमर कसे हुए हैं, वहीं पुडा ने झील के किनारे रिहायशी कालोनी बसाने के लिए बेचने के लिए खुली नीलामी की घोषणा कर दी है।
एसोसिएशन झील को सजीव करने के लिए झील के अंदर की जगह भी गांव बाधा की पंचायत से लेने के प्रयास कर रही है। असीजा ने कहा कि नियमानुसार स्थानीय प्रशासन वैट लैंड के आसपास की जगह रिहायशी कालोनी के लिए किसी भी एजेंसी के हवाले नहीं कर सकता। पौधारोपण के नजरिये से भी यह जगह काफी महत्व रखती है। वैसे भी अगर यहां कालोनी बसाई जाती है तो करीब पांच सौ पेड़ काटने पड़ेंगे, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के लिए बड़ा धक्का साबित होगा।
एसोसिएशन के सदस्यों व शहर के अनेक बुद्धिजीवियों ने रविवार को स्थानीय लाला सुनाम राय मेमोरियल सोसायटी के कार्यालय में बैठक कर कालोनी निर्माण के विरोध में अदालत का दरवाजा खटखटाने व लोगों को झील बचाने के लिए जागरूक करने का फैसला लिया है। इसके तहत एसोसिएशन ने फाजिल्का वासियों से उक्त कालोनी में प्लाट न लेने की अपील की है क्योंकि मामला अदालत में जाने से उनकी रकम फंस सकती है।
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