Friday, September 18, 2009

फ्लाईओवर

निम्नलिखित लेख उस छात्र की कॉपी से लिया गया है, जिसे निबंध लेखन प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार मिला है।


फ्लाईओवर का जीवन में बहुत महत्व है, खास तौर पर इंजीनियरों और ठेकेदारों के जीवन में तो घणा ही महत्व है। एक फ्लाईओवर से  जाने कितनीकोठियां निकल आती हैं। पश्चिम जगत के इंजीनियर भले ही इसे  समझें कि भारत में यह कमाल होता है कि पुल से कोठियां निकल आती हैं औरफ्लाईओवर से फार्महाउस।

खैर, फ्लाईओवर से हमें जीवन के कई पाठ मिलते हैं, जैसे बंदा कई बार घुमावदार फ्लाईओवर पर चले, तो पता चलता है कि जहां से शुरुआत की थी, वहींपर पहुंच गए हैं। उदाहरण के लिए ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के पास के फ्लाईओवर में बंदा कई बार जहां से शुरू करे, वहीं पहुंच जाताहै। वैसे, यह लाइफ का सत्य है, कई बार बरसों चलते -चलते यह पता चलता है कि कहीं पहुंचे ही नहीं।

फ्लाईओवर जब नए-नए बनते हैं, तो एकाध महीने ट्रैफिक स्मूद रहता है, फिर वही हाल हो लेता है। जैसे आश्रम में अब फ्लाईओवर पर जाम लगता है,यानी अब फ्लाईओवर पर फ्लाईओवर की जरूरत है। फिर उस फ्लाईओवर के फ्लाईओवर के फ्लाईओवर पर भी फ्लाईओवर चाहिए होगा। हो सकता है किकुछ समय बाद फ्लाईओवर अथॉरिटी ऑफ इंडिया ही बन जाए। इसमें कुछ और अफसरों की पोस्टिंग का जुगाड़ हो जाएगा। तब हम कह सकेंगे किफ्लाईओवरों का अफसरों के जीवन में भी घणा महत्व है।

दिल्ली में इन दिनों फ्लाईओवरों की धूम है। इधर से फ्लाईओवर, उधर से फ्लाईओवर। फ्लाईओवर बनने के चक्कर में विकट जाम हो रहे हैं। दिल्लीगाजियाबाद अप्सरा बॉर्डर के जाम में फंसकर धैर्य और संयम जैसे गुणों का विकास हो जाता है, ऑटोमैटिक। व्यग्र और उग्र लोगों का एक ट्रीटमेंट यह है किउन्हें अप्सरा बॉर्डर के जाम में छोड़ दिया जाए।

फ्लाईओवर बनने से पहले जाम फ्लाईओवर के नीचे लगते हैं, फिर फ्लाईओवर बनने के बाद जाम ऊपर लगने शुरू हो जाते हैं। इससे हमें भौतिकी के उसनियम का पता चलता है कि कहीं कुछ नहीं बदलता, फ्लाईओवर का उद्देश्य इतना भर रहता है कि वह जाम को नीचे से ऊपर की ओर ले आता है, ताकिनीचे वाले जाम के लिए रास्ता प्रशस्त किया जा सके।

फ्लाईओवरों का भविष्य उज्जवल है। कुछ समय बाद यह सीन होगा कि जैसे डबल डेकर बस होती है, वैसे डबल डेकर फ्लाईओवर भी होंगे। डबल ही क्यों,ट्रिपल, फाइव डेकर फ्लाईओवर भी हो सकते हैं। दिल्ली वाले तब अपना एड्रेस यूं बताएंगे - आश्रम के पांचवें लेवल के फ्लाईओवर के ठीक सामने जो फ्लैटपड़ता है, वो मेरा है। कभी जाम में फंस जाएं, तो कॉल कर देना, डोरी में टांग कर चाय लटका दूंगा। संवाद कुछ इस तरह के होंगे - अबे कहां रहता हैआजकल रोज अपने फ्लैट से पांचवें लेवल का जाम देखता हूं, तेरी कार नहीं दिखती। सामने वाला बताएगा - आजकल मैं चौथे लेवल के फ्लाईओवर मेंफंसता हूं। अबे पांचवें लेवल के जाम में फंसा कर, वहां हवा अच्छी लगती है। अबे, ले मैं तेरे ऊपर ही था, पांचवें वाले 



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Navdeep Asija
http://navdeepasija.blogspot.com
Fazilka - 152123

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