फाजिल्का-सरकारी स्कूल और सरकारी अध्यापक आमतौर पर गलत कारणों की वजह से चर्चा में रहते है, लेकिन पाकिस्तान की सीमा से सटे फाजिल्का तहसील के गांव दोना नानका का प्राइमरी स्कूल व यहां के 'मास्टर जी' के पास ऐसे अनेक 'नेक कारण' है, जिसे शिक्षा महकमा ही नहीं पूरा पंजाब सीना तान बयां कर सकता है।
15 सौ के करीब आबादी वाले इस गांव के 169 बच्चों वाले प्राइमरी स्कूल में घुसते ही पक्की सड़कें, व्यवस्थित हरियाली व शिक्षाप्रद सौंदर्यीकरण आपको यह मानने ही नहीं देता कि आप सीमा से सटे किसी पिछड़े गांव के सरकारी स्कूल में है। अच्छे-अच्छे निजी स्कूलों के सौंदर्य को मात करने वाले इस स्कूल के सौंदर्य से मुग्ध होने के बाद बूट जुराब, टाई बेल्ट सहित फुल ड्रेस में सजे छात्र जब गुड मार्निग या गुड आफ्टरनून कह आगंतुक का स्वागत करते है तो गदगद हुए आगंतुक का आश्चर्य देखते ही बनता है। पूरे गांव का आर्थिक स्तर कैसा भी हो, लेकिन स्कूल के अध्यापकों की बदौलत यहां पढ़ने वाले हर छात्र के पास फुल ड्रेस, किताबें व हर वह सामान है जो एक आदर्श स्कूल में पढ़ने वाले छात्र के पास होना चाहिए।
पढ़ाई में स्कूल के छात्रों द्वारा पिछले दो बरस में दिए गए परिणाम बताते है कि यह स्कूल कुछ खास है। इसी स्कूल की छात्रा संतो बाई 2007-08 में पांचवीं की परीक्षा में पूरे पंजाब में पहले स्थान पर रही थी। अब संतो बाई इसी स्कूल की अपनी सहपाठिन के साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला स्थित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अकाल तख्त अकादमी में प्रवासी भारतीयों के सहयोग से मुफ्त शिक्षा पा रही है। इसी स्कूल का छात्र मंगत सिंह इस साल पूरी तहसील में पहले स्थान पर रहा जबकि पिछले साल ब्लाक के पहले तीन स्थानों पर इसी स्कूल के छात्रों का कब्जा था। स्कूल के दो छात्र व एक छात्र पिछली बार नवोदय विद्यालय के लिए चयनित हुए है। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को बाहरी दुनिया से रूबरू करवाने के लिए रोजाना अखबारों की सुर्खियां पढ़कर सुनाने के साथ उन्हे खबरों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी जाती है। छात्रों में मास्टर जी के नाम से मशहूर स्कूल के इंचार्ज लवजीत सिंह जिसके आने के बाद स्कूल ने नए सोपान तय करने शुरू किए, बताते है कि हमारा उद्देश्य बच्चों को सिर्फ पास करवाना नहीं, बल्कि उन्हे हर कंपीटीशन के लायक बनाना है। इसी को ध्यान में रखकर मैं और मेरा स्टाफ पूरी टीम भावना से जुटा हुआ है। लवजीत के अनुसार स्कूल में हाल ही में एक प्री-नर्सरी सेक्शन भी शुरू किया गया है, जिसमें साठ बच्चे है। जिन्हे प्ले-वे मैथेड से शिक्षित कर स्कूल के माहौल के लिए तैयार किया जाता है। स्कूल में एक लाइब्रेरी भी है जो सिर्फ नाम की ही नहीं काम की भी है। दो साल से चल रही इस लाइब्रेरी में धार्मिक व देशभक्ति की किताबें है, जिन्हे छात्र घर ले जाकर पढ़ते हैं और पढ़कर जमा भी करवाते है। स्कूल में कार्यरत दो अन्य अध्यापिकाओं सुरिंदर पाल कौर व सुखपाल रानी ने बताया कि खेलों में भी स्कूल ने उपलब्धियां हासिल की है। स्कूल की लड़कों की खो-खो की टीम जहां जिले में प्रथम रही वहीं कबड्डी में स्कूल की ही टीम ब्लाक लेवल पर पहले नंबर पर आई। इसके अलावा विभिन्न खेलों में स्कूल के बच्चे महारथ हासिल करने में जुटे हुए है। गांव के सरपंच हरबंस सिंह ने दैनिक जागरण को बताया कि दो बरस पहले तक गांव के काफी बच्चे शहर के निजी व महंगे स्कूलों में पढ़ने जाते थे, लेकिन अब गांव में तो क्या आसपास की ढाणियों में भी किसी स्कूल की वैन घुसती तक नहीं है। इसका सारा श्रेय गांव के स्कूल को जाता है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_5765244.html
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