Sep 29, 2009
फाजिल्का (फिरोजपुर)-'जिस दिन बालड़ी पढ़ जाएगी, देश दी गुड्डी चढ़ जाएगी।' सर्वशिक्षा अभियान के इस स्लोगन को कस्तूरबा गांधी गर्ल्स हॉस्टल योजना ने सही मायनों में पूरा किया है। पंजाब में ट्रायल के तौर पर फाजिल्का व अबोहर के ग्रामीण क्षेत्रों में खोले गए हॉस्टल सर्वशिक्षा अभियान के गर्ल्स एजुकेशन स्कीम के आदर्श केंद्र बने हुए है और पैसों के अभाव में बीच में ही पढ़ाई छोड़ने वाली कन्याओं के लिए वरदान साबित हो रहे है। केंद्र सरकार ने कमजोर आर्थिक हालत, लड़कियों को न पढ़ाने की मानसिकता रखने वाले अभिभावकों वाले क्षेत्रों में लड़कों के मुकाबले काफी कम संख्या में शिक्षा ग्रहण करने वाली लड़कियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से साल 2003 में कस्तूरबा गांधी गर्ल्स हॉस्टल खोलने की शुरुआत की थी। नींव को मजबूत करने के लिए प्राइमरी स्तर की लड़कियों के लिए देश के विभिन्न राज्यों में हॉस्टल खोले गए। पंजाब में इस योजना के ट्रायल के लिए साल 2006 में फाजिल्का ब्लाक के निहालखेड़ा गांव व अबोहर ब्लाक के धर्मपुरा गांव का चयन किया गया। गरीब परिवारों व लड़कियों को न पढ़ाने की मानसिकता वाले इन इलाकों में यह ट्रायल बेहद सफल रहा। सूत्रों के अनुसार, पहले साल अभिभावकों का विश्वास जीतकर उनकी लड़कियों को हॉस्टल में लाने के लिए चयनित गांवों के सरकारी स्कूलों के स्टाफ को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। अब आलम यह है कि प्राइमरी से एलीमेंट्री में तब्दील हुए स्कूलों की लड़कियों को हॉस्टल में दाखिल कराने के लिए अभिभावकों की लाइन लगी नजर आती है। निहालखेड़ा स्थित एलीमेंट्री स्कूल की छठी से आठवीं कक्षा तक की 49 लड़किया हॉस्टल के आदर्श माहौल में शिक्षा ग्रहण कर रही है। शुरुआत 25 लड़कियों से की गई थी। हॉस्टल में रहने वाली लड़कियों को सुबह नाश्ता, दो समय भोजन, दो समय चाय, सप्ताह में तीन दिन फल, दो दिन दूध व दो दिन स्वीटडिश के रूप में पोषक आहार नि:शुल्क प्रदान किया जाता है। उनके मनोरंजन के लिए खो-खो, बैडमिंटन मुकाबलों के अलावा इनडोर गेम्स में कैरम, रस्सा कूद इत्यादि का प्रशिक्षण दिया जाता है। रहने के लिए साफ सुथरे कमरों में बेड, बिस्तर व एक-एक अलमारी दी गई है। प्रांगण में सजावटी पेड़-पौधों वाला घासयुक्त मैदान भी छात्रावास के माहौल को पढ़ने योग्य बनाता है। साफ-सुथरे आधुनिक शौचालय, स्नानघर, आरओ वाटर के साथ समय-समय पर डाक्टरी निरीक्षण करवाया जाता है। विजिटर रूम में एक बड़ा टीवी मुहैया कराया गया है। स्कूल में कंप्यूटर शिक्षा के साथ-साथ शाम के वक्त प्रैक्टिस के लिए हॉस्टल में दो कंप्यूटर मुहैया कराए गए है। पढ़ाई में कमजोर छात्राओं के लिए हॉस्टल के बजट से ही शाम के वक्त नियमित टयूशन प्रदान की जा रही है। छात्राओं की देखभाल के लिए एक वार्डन, भोजन पकाने के लिए रसोइये, सुरक्षा के लिए चौकीदार का पुख्ता प्रबंध भी है। कुल मिलाकर जो सुविधाएं प्रति छात्रा हजारों रुपया खर्च कर अभिभावकों को नहीं मिल पातीं, वह कस्तूरबा गांधी गर्ल्स हॉस्टल में नि:शुल्क दी जा रही है। और हॉस्टल खोले जाएंगे : को-आर्डिनेटर हॉस्टल योजना की डिप्टी स्टेट को-आर्डिनेटर सुषमा के अनुसार, पंजाब में ट्रायल आधार पर कन्या शिक्षा मामले में लोगों की मानसिकता बदलने में फाजिल्का व अबोहर क्षेत्र में खोले गए हॉस्टल खासे कामयाब हुए है। उसके चलते संगरूर क्षेत्र में एक हॉस्टल खोला जा चुका है। ऐसे और हॉस्टल स्थापित करने के लिए कई जगहों की पहचान की जा चुकी है। बजट मिलने पर इनको खोल दिया जाएगा। इस साल हॉस्टल का बजट 10 लाख से ज्यादा निहालखेड़ा सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल एवं हॉस्टल की संचालन कमेटी के अध्यक्ष जगसीर सिंह ने बताया कि साल 2006 में खुले इस हॉस्टल के निर्माण पर साढ़े 14 लाख रुपये से अधिक खर्च आया था। बाद में छात्राओं की संख्या दुगुनी होने पर ऊपरी मंजिल पर 10 लाख रुपये की लागत से नई इमारत बनाई गई है। वैसे हर छात्रा को प्रतिदिन 25 रुपये डाइट देने का प्रावधान है, लेकिन छात्राओं के खाने-पीने, रहन-सहन, वार्डन व कांट्रेक्ट बेस पर रखे गए रसोइये, हेल्पर, सेवादार, चौकीदार, अकाउंटेट, टयूटर व हॉस्टल के रखरखाव के लिए सरकार प्रतिवर्ष 10 लाख से अधिक बजट देती है। इस साल 1064500 रुपये का बजट पास हुआ है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_5826156.html
Wednesday, September 30, 2009
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