फिरोजपुर-जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे गांव व सतलुज दरिया से लिए गए पानी के हेवी मैटल सैंपल की रिपोर्ट चंडीगढ़ के सेक्टर 11 डी स्थित पंजाब स्टेट बेक्टिरीयोलोजिकल लैब द्वारा जिला विभाग को भेज दी गई है। रिपोर्ट से जो खुलासा हुआ है वह सीमावर्ती गांव के लोगों के लिए गंभीर समस्या बनकर सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक पानी के हेवी मैटल सैंपल में आर्सेनिक की मात्रा पाई गई है जो किसी भी इंसान के लिए बड़े खतरे की घंटी से कम नहीं है।
गौरतलब है कि विभाग की ओर से करीब एक माह पहले सीमा से सटे करीब एक दर्जन गांवों व सतलुज दरिया से हेवी मैटल की जांच के लिए 11 सैंपल लिए गए थे जिन्हें जांच के लिए चंडीगढ़ स्थित पंजाब स्टेट बेक्टिरीयोलोजिकल लैब भेजा गया था। जांच के बाद वीरवार को आई रिपोर्ट के मुताबिक भेजे गए 11 सैंपलों में से आठ फेल पाए गए हैं। इस बात की पुष्टि जिला स्वास्थ्य विभाग के सहायक जिला यूनिट अधिकारी राजिंदर गगनेजा ने शुक्रवार को की है।
गगनेजा ने बताया कि चंडीगढ़ से पहुंची सैंपल की रिपोर्ट उन्होंने वीरवार को ही सिविल सर्जन और जिला स्वास्थ्य अधिकारी राकेश सीकरी व अन्य संबंधित अधिकारियों को सौंप दी थी। जिसे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जल्द ही डिप्टी कमिश्नर(डीसी) कमल किशोर यादव, वाटर सप्लाई विभाग व नगर कौंसिल के अधिकारियों को भेज दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि गांवों गंट्टी राजों के, हुसैनीवाला, भाने वाला, जल्लों के, गंट्टी रहीमे के, नेहाले किल्चे, सीएचवीडीआई वाला व चांदी वाला से लिए गए हेवी मैटल सैंपल फेल पाए गए हैं। उक्त सभी गांवों से लिए गए पानी में भारी मात्रा में आर्सेनिक पाया गया है। इस पानी से कैंसर, दमा, पैरालाइस, सिर के बाल झड़ने तथा गुर्दे फेल होना के अलावा कई अन्य गंभीर बीमारियां लग सकती हैं।
उन्होंने बताया कि फाजिल्का, अबोहर व अन्य क्षेत्रों से लिए गए पानी के हेवी मैटल सैंपल की रिपोर्ट आनी अभी शेष है।
Saturday, July 24, 2010
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