सरहदी गांव तेजा रूहेला में कन्या भ्रूणहत्या के प्रति ग्रामीणों को जगरूक करने के लिए न तो कभी स्वास्थ्य विभाग की ओर से शिविर का आयोजन किया गया है और न ही किसी सामाजिक संस्था ने जन जागरण अभियान चलाया है। इसके बावजूद लिंगानुपात के कारण गांव में समाज का ताना बाना कभी नहीं बिगड़ा यानि गांव में लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में अधिक है और यह लिंगानुपात पिछले पांच वर्षों से लगातार बढ़ रहा है। यही कारण है कि गांव में पिछले 10 बरसों से लगातार महिला को ही सरपंच चुना जा रहा है। बेश्क सतलुज दरिया के दूषित पानी के कारण यहां ग्रामीण अपंग हो रहे हैं और महिलाओं की कोख बंजर हो रही है। इसके बावजूद ग्रमीणों के मन में कन्याओं के प्रति आदर है और वे बेटी को अपनी शक्ति मानते हैं।
सामाजिक उत्थान में आगे है गांव: भौगोलिक परिस्थितियों के चलते भले ही गांव को पिछड़ा हुआ बोल दिया जाए, लेकिन सामाजिक उत्थान में यह गांव राज्य के किसी गांव से पीछे नहीं है। गांव में महिलाओं की संख्या तो अधिक है ही, स्कूल में भी लड़कियों की संख्या ज्यादा है। सरकारी प्राइमरी स्कूल की संख्या मुताबिक 2006 में 49 लड़कों के मुकाबले 57 लड़कियां थी। इसके बाद इस संख्या में इलाफा होता चला गया और 2007 में अनुपात बढ़कर 48 लड़कों के मुकाबले 60 हो गया। 2008 में 89 लड़कियां और 73 लड़के, 2009 में 102 लड़कियां और 79 लड़के थे। इस साल लड़कियां 125 हैं तो लड़कों की संख्या मात्र 86 है। यही स्थिति उसके पड़ोसी गांव दोना नानका की है। जहां बीते साल लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में 5 अधिक थी तो इस साल वहां 10 लड़कियां लड़कों से ज्यादा हैं।
मेहनत में कम नहीं महिलाएं: सरपंच सोमा बाई और पूर्व सरपंच संतो बाई ने बताया कि उन्हें अपने गांव पर गर्व है। भले ही चंडीगढ़ को मॉडर्न गांव कहा जाए, लेकिन लिंगानुपात में उनका गांव किसी से पीछे नहीं है, यहां महिलाएं भी श्रम पुरुषों की तरह करती हैं।
उन्होंने बताया कि गांव में तो वे लड़कियों को प्राइमरी तक शिक्षा दिला लेते हैं, लेकिन अठवीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें तीन किमी दूर गांव माहतम नगर जाना पड़ता है। अगर हायर सैकेंडरी तक पढऩा हो तो आठ किमी दूर गांव झंगड़ भैणी जाना पड़ता है। उच्च शिक्षा के लिए उनके पास फाजिल्का के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हालांकि ये लड़कियां भी महिलाओं की इस अलख में भागीदार बनना चाहती हैं, पर इनके लिए कोई सरकारी बस सुविधा न होने के कारण दूर तक जाने के लिए लड़कियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस कारण गांव की लड़कियां उच्च शिक्षा से वंचित हो जाती हैं। गांव में मुख्य तौर पर दरिया के दूषित पानी की समस्या है, जिसके चलते ग्रामीण शारीरिक रूप से विकलांग हो रहे, लेकिन सरकार उनकी ओर कभी ध्यान नहीं दिया।
Thursday, July 15, 2010
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