Dainik Jagran, 7th July 2010
फाजिल्का-बूंद-बूंद पानी बचाने की किसानों द्वारा अपनाई जा रही नई विधि जहां भूजल स्तर गिरने से बचा रही है, वहीं नहरी पानी की कमी की समस्या से निपटने के लिए भी कारगर साबित हो रही है। करीब दो साल पहले पानी बचाने के उद्देश्य से अस्तित्व में आई लेजर लैंड लेवलर मशीन आज हर खेत की जरूरत बनती जा रही है। अकेले एक निजी संस्था ने ही इस यंत्र की मदद से करीब पांच सौ एकड़ रकबे में 480 करोड़ लिटर पानी की बचत की है।उल्लेखनीय है कि लेजर लैंड लेवलर को ट्रैक्टर से जोड़कर कंप्यूटर व लेजर की मदद से जमीन को इस कदर समतल कर दिया जाता है कि उसमें 25 से 40 प्रतिशत पानी की बचत होने लगती है। लेजर लैंड लेवलर से पानी की बचत के लिए एक एकड़ धान के खेत का उदाहरण ही काफी है। अगर आम खेत, जिसमें जमीन समतल नहीं होती और एक जगह से दूसरी जगह में तीन से चार इंच का अंतर होता है, वहां एक बार में करीब तीन से सवा तीन लाख लिटर पानी लगता है। धान को पूरे सीजन में 30 बार पानी लगाया जाता है। यानी करीब एक करोड़ लिटर पानी की खपत होती है। वहीं अगर लेजर लैंड लेवलर से जमीन समतल करके पानी लगाया जाए तो हर बार सवा लाख लिटर पानी की बचत होती है और पानी भी पूरी जमीन में एक समान पहुंचता है। तीस बार में करीब 40 लाख लिटर पानी बचता है। पानी बचाने के इस ढंग को जहां हर छोटा बड़ा किसान अपनाने को लालायित है, वहीं इस यंत्र की कीमत ढाई से साढ़े तीन लाख रुपये तक होने के चलते हर किसान तक इसे उपलब्ध करवाने के लिए कृषि विभाग 33 प्रतिशत की सब्सिडी पर सहकारी सभाओं व किसानों को उपलब्ध करवा रहा है। लेजर लैंड लेवलर से पिछले एक साल के दौरान चार सौ एकड़ भूमि समतल करने वाली कृषि सेवा कंपनी जमींदारा फार्मसाल्यूशंस ने पांच सौ एकड़ रकबे में लेजर लैंड लेवलर के प्रयोग से 480 करोड़ लिटर पानी बचाया है।
लेजर लैंड लेवलर के बारे में ब्लाक कृषि अधिकारी डा. जोगिंदर सिंह बोपाराय ने कहा कि लेजर लेवलर पानी बचाने में काफी कारगर है। विभाग के जरिए अब तक आठ सहकारी सभाओं व किसानों को लेजर लैंड लेवलर सब्सिडी पर मुहैया करवाए गए है, जिनसे सैकड़ों एकड़ जमीन समतल कर पानी बचाया जा रहा है।
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