24th July 2010
फाजिल्का-शहर की सामाजिक संस्था ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन व सैकड़ों नागरिकों द्वारा कभी इलाके की शान रही व फिलहाल सूख चुकी बाधा झील को पुनरुद्धार करने के प्रयास रंग लाने लगे हैं। लोगों की शिकायत के बाद पंजाब अर्बन डेलवपमेंट अथारिटी (पुडा) ने बाधा झील व उसके आसपास रिहायशी प्लाट काटने वाले सात लोगों को नोटिस जारी किया है।उल्लेखनीय है कि फाजिल्का व गांव बाधा के बीच पड़ने वाली हार्स शू लेक कही जाने वाली बाधा झील में इंडस वैली जल संधि 1960 के तहत पानी देना बंद कर दिया गया। उसके बाद भी सतलुज दरिया का पानी अन्य राज्यों को देने के लिए हुए समझौतों के बाद सतलुज दरिया की इस फाट (क्रीक) यानी बाधा झील सूखने लगी। फिर सूखी झील में खेती की आड़ में शुरू हो गया आवासीय कालोनी काटने का दौर। झील व उसके आसपास वाली जगह पर आवासीय कालोनियां काटी जाने लगीं और करीब 50 एकड़ क्षेत्र में फैली झील महज 18 एकड़ में सिमटकर रह गई। वह 18 एकड़ जमीन भी पंचायत के नाम है, इसलिए बच गई।
बिना पुडा की मंजूरी के काटी जा रही आवासीय कालोनी से तबाह हो रहे कुदरती स्त्रोत से आहत शहर की सामाजिक संस्था ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन और शहर के सैकड़ों नागरिकों ने अभियान चलाकर बाधा झील को फिर से जीवित करने की मांग उठाई। सैकड़ों स्कूली बच्चों ने जनवरी 2010 में अपनी वाटर बाटल का पानी खुद पीने की बजाए झील में डालकर सरकार को झील को पुनर्जीवित करने का संदेश दिया। सैकड़ों लोगों ने आन लाइन व लिखित रूप से पुडा को शिकायतें भेजकर बाधा झील वाली जगह पर अवैध रूप से कालोनियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इस बात पर संज्ञान लेते हुए पुडा ने बाधा झील पर कालोनी काटने वाली नीलम रानी, टहल सिंह, सुनीता रानी, शांति देवी, चरण सिंह व गौरव कुमार को नोटिस जारी किया है। पुडा बठिंडा के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर से मिली जानकारी के अनुसार अगर उक्त लोगों पर पुडा के नियमों की अनदेखी के रिपोर्ट सिद्ध हो गए तो उनके खिलाफ पर्चा दर्ज होना निश्चित है।
झील सूखने से हुआ यह नुकसान
फाजिल्का : ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव इंजीनियर नवदीप असीजा ने बताया कि अवैध रूप से काटी आवासीय कालोनी से कुदरती स्त्रोत तो तबाह हुआ ही है, साथ ही झील के आसपास पाए जाने वाले करीब 150 मोर झील के आसपास का वन्य क्षेत्र समाप्त होने से मर गए। यहां कमल के फूल भी खिलने बंद हो गए। यानी राष्ट्रीय पक्षी और राष्ट्रीय फूल दोनों ही प्रभावित हुए हैं। लोगों के मुताबिक अभी भी समय है कि सरकार सूख चुकी बाधा झील में गंग नहर के जरिए पानी दे ताकि यहां मछली पालन, बोटिंग के साथ साथ झील को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सके।
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