सरहदी लड़कियों को अब आत्म सुरक्षा के लिए पुलिस, समाजसेवी संस्थाएं या परिजनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वह अब कराटे सीख रही हैं और आत्मरक्षा के लिए उन्होंने खुद में इतना दम पैदा कर लिया है कि 3-4 युवाओं से वह अकेली ही मुकाबला कर सकती हैं। इसके लिए सरहदी गांव झंगड़ भैणी की 48 लड़कियां कराटे सीख रही हैं। इसके लिए वे बाकायदा एक घंटे तक की क्लास लगाती हैं। कराटे सीख रही परमजीत कौर का कहना है कि उनके गांव में सिर्फ हाई स्कूल है और इसके बाद की शिक्षा हासिल करने के लिए उन्हें 15 किलोमीटर दूर फाजिल्का के स्कूल-कॉलेज में जाना पड़ेगा। क्योंकि उनके गांव तक कोई सरकारी बस नहीं जाती। इसलिए उन्हें साइकिल पर ही सफर करना पड़ेगा। गगनदीप कौर ने बताया कि इस लंबे सफर दौरान अगर किसी मनचले ने उनकी तरफ बुरी नजर से झांका तो वह कराटों के जरिए उन्हें मुंहतोड़ जवाब देकर अपनी हिफाजत खुद करेंगी। वीरां बाई बताती है कि आज की भागदौड़ की जिंदगी में परिजन दिन भर कामकाज में जुटे रहकर घर का गुजारा करते हैं। इसलिए उनके पास इतना समय नहीं होता कि वह बेटियों को स्कूल, कालेज या ट्यूशन सेंटर तक छोड़कर आएं। इसलिए वह खुद अपनी हिफाजत के लिए कराटे सीख रही हैं। गुरमेज कौर का कहना है कि लंबे सफर में गुंडा-तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कराटे सीखना जरूरी हो गया है।
दिमाग और शरीर भी रहता है तंदरुस्त
बेटियों को कराटे की शिक्षा दे रहे कोच रमन कुमार का कहना है कि कराटे एक उन्नत कला है। यह हममें आत्मविश्वास पैदा करता है और जीवन में नौकरी प्राप्त करने में भी सहायक होता है। इसलिए लड़कियों में आत्मविश्वास में वृद्धि और आत्म रक्षा के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
जोश और उत्साह है लड़कियों में
गांव के प्रिंसिपल गणेश शर्मा, अशोक कुमार, मोनिका, बलविंद्र सिंह, सुखविंद्र सिंह, मनिन्द्र सिंह, संदीप कुमार, महिन्द्र खेड़ा, विशाल और रवि का कहना है कि यह एक ऐसा खेल है। जिससे आत्म रक्षा के साथ-साथ आदमी का दिमाग और शरीर भी चुस्त-दुरूस्त ही नहीं तंदुरूस्त रहता है। यही कारण है कि सरहदी लड़कियों में इस खेल के प्रति जोश और उत्साह है।
कन्या भू्रण हत्या के प्रति भी मुहिम
स्कूल की छात्राओं को आत्मरक्षा के लिए कराटे का प्रशिक्षण देने के साथ साथ उन्हें कन्या भ्रूण हत्या के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में हिस्सा ले रही लगभग 50 छात्राओं ने शपथ ली है कि वह अपने वैवाहिक जीवन में कभी भी कन्या भ्रूण हत्या नहीं करेंगी बल्कि आस-पड़ोस व रिश्तेदारों में भी गर्भ में पल रही मासूम कन्या को न मारने के लिए जागरूक करेंगी। वहीं स्कूल के अध्यापकों की ओर से लड़कियों को कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ शपथ दिलाई गई।
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