गांव चौहाडिय़ां वाली की मनवीर के मन में एक ही तमन्ना थी कि उसके तीर से निकला हर निशाना उसे पदक दिलाए।
परिजनों ने मनवीर को तीरंदाजी के लिए हर सुविधा प्रदान की। सफलता से शुरू हुआ यह सफर लगातार जारी है और उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब वह नेशनल स्तर की खिलाड़ी है और म्यांमार और बैंकॉक में भी कांस्य हासिल कर चुकी है।
इन मैडलों पर साधा निशाना
मनवीर कौर ने स्कूल स्तर पर जोनल, जिला से लेकर राज्य स्तर पर कांस्य, सिल्वर और गोल्ड मैडलों पर कब्जा जमाया। इसके बाद 2006-07 में वह नेशनल स्तर के टूर्नामेंट में कूद गई। जहां भी उसने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और कई मेडल हासिल किए। सिक्किम में हुई जूनियर नेशनल, विजय वरदा में सीनियर नेशनल, नेशनल गेम्स गुवाहाटी, जूनियर नेशनल अमरावती व सीनियर नेशनल टाटानगर आदि में अनेक मेडल हासिल किए। इसके बाद 2008 में मनवीर कौर ने पहले एशियन अरचेरी ग्रांड मुकाबले में बैंकॉक में सिल्वर मेडल जीता। टाटा नगर में आयोजित दूसरे साउथ एशियन अरचेरी चैंपियनशिप में उसने गोल्ड हासिल किया। इसी साल दिसंबर में मनवीर ने पहली एशियन ओपन चैंपियनशिप योंगोन(म्यांमार) में कांस्य पदक जीता।
बहन तरनदीप कौर भी आगे जगसीर सिंह की दूसरी बेटी तरनदीप कौर अध्यापिका है। नेट व यूजीसी क्लियर कर चुकी तरनदीप कौर गिद्दे और भंगड़े में नाम रोशन कर चुकी है।
राष्ट्रपति अवार्ड की तमन्ना
मनवीर कौर इस समय अमृतसर में एमपी एड में फाइनल ईयर की छात्रा है। प्रथम वर्ष में मनवीर कौर यूनिवर्सिटी में टॉपर रही। उसकी तमन्ना है कि फाइनल में भी वह टॉपर रहे और राष्ट्रपति अवार्ड हासिल करे। जगसीर सिंह अपनी बेटी की इस तमन्ना को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। दहेज व सुरक्षा की पीड़ा
कमनवीर की मां नरिन्द्र कौर का कहना है कि अगर दहेज के खिलाफ सभी जागरूक हो जाएं तो बेटी बेटे से भी अधिक सम्मान दिला सकती है। उन्होंने बताया कि आज के जमाने में लोग इसलिए बेटी पैदा करने से घबराते हैं कि बेटी पैदा होते ही दहेज और सुरक्षा की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। सरकार से बेरुखी सरकार ने कई घोषणाएं की कि खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता की जाएगी, मगर मनवीर कौर के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी होने के बावजूद आज तक सरकार ने कोई सुविधा नहीं दी। अगर सरकार उन्हें प्रोत्साहन दे तो वह देश का नाम रोशन करने की क्षमता रखती है।
मनवीर कौर इस समय अमृतसर में एमपी एड में फाइनल ईयर की छात्रा है। प्रथम वर्ष में मनवीर कौर यूनिवर्सिटी में टॉपर रही। उसकी तमन्ना है कि फाइनल में भी वह टॉपर रहे और राष्ट्रपति अवार्ड हासिल करे। जगसीर सिंह अपनी बेटी की इस तमन्ना को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। दहेज व सुरक्षा की पीड़ा
कमनवीर की मां नरिन्द्र कौर का कहना है कि अगर दहेज के खिलाफ सभी जागरूक हो जाएं तो बेटी बेटे से भी अधिक सम्मान दिला सकती है। उन्होंने बताया कि आज के जमाने में लोग इसलिए बेटी पैदा करने से घबराते हैं कि बेटी पैदा होते ही दहेज और सुरक्षा की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। सरकार से बेरुखी सरकार ने कई घोषणाएं की कि खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता की जाएगी, मगर मनवीर कौर के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी होने के बावजूद आज तक सरकार ने कोई सुविधा नहीं दी। अगर सरकार उन्हें प्रोत्साहन दे तो वह देश का नाम रोशन करने की क्षमता रखती है।
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