पाकिस्तान की सीमा से सटे गांवों में बसे ग्रामीणों के बच्चों की शिक्षा के लिए पहले से विभिन्न सहायता प्रोग्राम चला रही सेना ने अब ऐसे बच्चों को कंप्यूटर ज्ञान देने के लिए सीमावर्ती गांवों में कंप्यूटर सेंटर खोलने का निर्णय लिया है। इस फैसले पर अमल शुरू भी हो गया है, इसके तहत जहां जहा कंप्यूटर सेंटर खोले जाने हैं वहां वहां कंप्यूटर व लैब से संबंधित अन्य सामान भी मुहैया करवा दिया गया है। जल्द ही यह सेंटर बच्चों को कंप्यूटर ज्ञान बांटना शुरू कर देंगे।
यहां वीरवार को इस बारे में जानकारी देते हुए सेना के फाजिल्का से स्थानांतरित हो रहे ब्रिगेडियर अरुल डेनिस और उनकी जगह पर नए आए ब्रिगेडियर राकेश रैना ने बताया कि सेना ने पूरे पंजाब भर में पाकिस्तान की सीमा से सटे गांवों में से चुनिंदा गांव चुनकर कंप्यूटर प्रशिक्षण का प्रबंध किया गया है। चुने गए गांव ऐसे हैं जहां आसपास के सीमावर्ती गांवों के बच्चे आसानी से पहुंच सकें। सेंटर बनाने के लिए चुने गए स्थान के आधा दर्जन गांवों के केंद्र में होने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही फाजिल्का के सीमावर्ती गांवों में से गांव आसफवाला का चयन किया गया है। इसी गांव में 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों की समाधि व शहीदी स्मारक भी हैं। इसी स्मारक में यह सेंटर खोला जाना है। ताकि अधिकाधिक बच्चे आधुनिक युग में कंप्यूटर शिक्षा ग्रहण करने के साथ साथ देश पर निसार जवानों से प्रेरणा ले खुद में देशभक्ति के भाव और प्रगाढ़ कर सकें। ब्रिगेडियर डेनिस व ब्रिगेडियर रैना ने बताया कि सीमा से सटे गांवों में खोले जाने वाले इन कंप्यूटर सेंटरों में पूरी तरह निशुल्क कंप्यूटर शिक्षा प्रदान की जाएगी जिससे सीमावर्ती क्षेत्र के बच्चों को काफी फायदा होगा। कोर कमांडर, बठिंडा के क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र में खोले जाने वाले सेंटरों का सामान भी भेजा जा चुका है।
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