Tuesday, March 22, 2011

यहां मजहब की नहीं कोई दीवार

अमृत सचदेवा, फाजिल्का
मजहब के नाम पर दंगे भारत की पहचान नहीं हैं। हिंदुस्तान सदियों से शांति का दूत रहा है। कुछ ऐसा ही संदेश फाजिल्का में बना एक धार्मिक स्थल दे रहा है। यहां धर्म-वर्ग से इतर हिंदू, मुस्लिम व सिख समुदाय के लोग एक साथ नतमस्तक होते हैं।

स्थानीय बीएसएफ मुख्यालय से ठीक आगे आवा रोड पर एक साथ बने मंदिर, मस्जिद व गुरुद्वारे आपसी भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। यहां शिव मंदिर में हर देवी देवता की आराधना होती है। वहीं बाबा सैयद मीर मुहम्मद की मजार पर हर धर्म के लोग सजदा करने आते हैं, तो दूसरे कोने पर बने गुरुद्वारा साहिब में हर कोई सरबत के भले की कामना करता है। यहां बीएसएफ कैंपस में रहने वाले विभिन्न धर्मो के परिवार भी आते हैं। शहर व गांव आवा से भी हर धर्म के लोग पहुंचते हैं। बीएसएफ कैंपस के कारण सफाई व्यवस्था व हरियाली के बेहतरीन प्रबंध के चलते यह प्वाइंट सुबह शाम सैर करने वालों के आकर्षण का केंद्र भी है।

समाधि की सेवक सभा के अध्यक्ष प्यारे लाल सेठी ने बताया कि यहां धर्म तोड़ता नहीं, बल्कि हर किसी को एक दूसरे से जोड़ता हुआ प्रतीत होता है। जब भी समाधि पर मेला लगता है, तो मंदिर व गुरुद्वारा साहिब के सेवादार सेवा करते हैं। जबकि मंदिर व गुरुद्वारा साहिब के आयोजन में समाधि सभा के सदस्य शामिल होते हैं। सुबह से ही यहां भजनों, गुरबानी व समाधि स्थल पर सजदे के स्वर गूंजने लगते हैं। सभी धर्मो का साझा यह स्थल भारत-पाक सीमा पर रीट्रीट सेरेमनी देखने जाने वाले पर्यटकों के आकर्षण का भी केंद्र बना रहता है।
-----------

समाधि पर मेला आज

बाबा सैयद पीर मुहम्मद की समाधि पर 22वें वार्षिक मेले का आयोजन मंगलवार को किया जाएगा। मेले का शुभारंभ कांग्रेस नेता देवेंद्र सचदेवा सुबह 10 बजे करेंगे व शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी द्वारा किया जाएगा। मेले की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अनिल सेठी ने बताया कि मेले में फाजिल्का व आसपास के गांवों के अलावा दूर दराज से लोग मन्नतें मांगने आते हैं व मन्नतें पूरी होने पर प्रसाद चढ़ाने पहुंचते हैं।

No comments: