कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। इस उक्ति को चरितार्थ किया है फाजिल्का के श्रीमती ज्वाला बाई नत्थू राम आहूजा चेरीटेबल ट्रस्ट ने। ट्रस्ट ने जल व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जन जागरण से बड़ी लकीर खींची है।
ट्रस्ट ने नाबार्ड व जमींदारा फार्मसाल्यूशंस के सहयोग से चार जिलों के करीब 63 गांवों के किसानों को गेहूं व धान की नाड़ न जलाने के लिए जागरूक किया। साथ ही सिंचाई के तरीकों में बदलाव कर लाखों लीटर पानी की भी बचत की। इस अभियान के तहत किसानों को दी जा रही ट्रेनिंग का समापन समारोह हुआ। इस दौरान पानी की बचत का तरीका दर्शाते करणीखेड़ा के एक प्लाट की प्रदर्शनी दिखाई गई। जल व पर्यावरण संभाल में सहयोग देने वाले किसानों को सम्मानित किया गया।
25 मार्च को गांव करणीखेड़ा में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर एमएस कंग थे। विशिष्ट अतिथि नाबार्ड के चीफ जनरल मैनेजर एससी कौशिक, जनरल मैनेजर डीसी शर्मा, भू विभाग पीएयू लुधियाना के डा. यादविंदर सिंह, सीसा प्रोजेक्ट के एचएस सिद्धू, डा. एचएस थिंद, आईआईटी दिल्ली के डा. बीके आहूजा शामिल हुए। कार्यक्रम में जमींदारा फार्मसाल्यूशंस के प्रबंध निदेशक व ट्रस्ट के पदाधिकारी सुरेंद्र आहूजा ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा नाबार्ड के सहयोग से जमींदारा फार्मसाल्यूशंस की तकनीकी सहायता से पिछले छह महीने में फिरोजपुर, मुक्तसर, पड़ोसी राज्य राजस्थान के करीब 63 गांवों के चार हजार किसानों को पराली न जलाने, पानी बचाने के लिए लेजर लैंड लेवलर के प्रयोग करने, डायरेक्टर सीडर से धान की बिजाई करने जैसे आधुनिक तरीकों से अवगत करवाया गया। मुख्य अतिथि डा. कंग सहित सभी मेहमानों ने ट्रस्ट की मुहिम को सराहा। मुख्य अतिथि डा. कंग और अन्य मेहमानों ने करणीखेड़ा में पर्यावरण व जल संरक्षण की दिशा में तैयार प्लाट का निरीक्षण किया। जमींदारा फार्मसाल्यूशंस के निदेशक विक्रम आहूजा ने बताया कि पर्यावरण व जल संरक्षण के प्रयोग के लिए पांच सौ एकड़ के रूप में करीब सौ प्लाट देने वाले किसानों को भी सम्मानित किया गया।
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