20th December 2010, Dainik Bhaskar, Laxman Dost
भारत विभाजन से पूर्व जिस प्राकृतिक झील के सौंदर्य से प्रभावित होकर अंग्रेजों ने फाजिल्का नगर की स्थापना की थी, उस झील का अस्तित्व आज खत्म हो गया है। पर्यावरण के दुश्मनों ने बाधा झील को निगल लिया। अब यहां कंक्रीट का जंगल बनाये जाने योजना पर भी काम किया जा रहा है। वैटलेंड में शुमार बाधा झील कभी प्रवासी पक्षियों की चहलकदमी से गुंजायामान रहता था। इस प्राकृतिक झील को पुरानी अवस्था में लाने के लिए सरकार कोई रूचि नहीं दिखा रही है। भूमाफिया इस भूमि के आसपास रिहायसी कालोनियां बनाने की योजनाएं बना रहे हैं। गौर हो कि फाजिल्का सब डिवीजन में कुल 3 प्राकृतिक झीलें थीं। भैनी झंगड़ और गंजबक्श (अब सदकी की चैक पोस्ट) की झीलों का थोड़ा बहुत अस्तित्व अब भी हैं, किंत तीसरी झील का अस्तित्व खम्त्म हो चुका है। जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के फारमर डायरेक्टर वीके जोशी ने बाधा लेक के खत्म होने की वजह से ही इस पूरे क्षेत्र को रेड अलर्ट जोन में रखा है। प्रदेश में ऐसी 32 वैटलैंड थीं जिनमें अधिकांश खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है।
Monday, December 20, 2010
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