6th December 2010
शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के समाधि स्थल पाकिस्तान के क्षेत्र से वापस लेने के लिए हुए समझौते के तहत फाजिल्का का बारह गांव पाकिस्तान को दिए गए थे जिसकी वजह से फाजिल्का सेक्टर की भौगोलिक स्थिति बिगड़ गई और अनेक वीर जवानों को 1965 व 1971 की जंग में शहादत देनी पड़ी।
जब तीन दिसंबर, 1971 की रात को पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया तो सुलेमान की हैड की तरफ वाला ऊंचाई वाला क्षेत्र पाकिस्तान की तरफ गया होने के कारण पाकिस्तानी सेना लगातार आगे बढ़ती गई और फाजिल्का से करीब आठ दस किलोमीटर निकट पहुंच गई थी। लेकिन वहां चौथी जाट रेजीमेंट और असम रेजीमेंट के जवानों ने अपने प्राणों की आहुतियां देकर दुश्मन को आगे बढ़ने से रोका था। देश को आजाद करवाने वाले वीर शहीदों की समाधियों के बदले दिए गांवों के कारण कमजोर हुई डिफेंस लाइन पर देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए वीर जवानों की याद में फाजिल्का में भी एक शहीदी स्मारक गांव आसफवाला में बनाया गया है जो हमेशा देश के रक्षकों की कुर्बानी की याद दिलाता है।
शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के समाधि स्थल पाकिस्तान के क्षेत्र से वापस लेने के लिए हुए समझौते के तहत फाजिल्का का बारह गांव पाकिस्तान को दिए गए थे जिसकी वजह से फाजिल्का सेक्टर की भौगोलिक स्थिति बिगड़ गई और अनेक वीर जवानों को 1965 व 1971 की जंग में शहादत देनी पड़ी।
जब तीन दिसंबर, 1971 की रात को पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया तो सुलेमान की हैड की तरफ वाला ऊंचाई वाला क्षेत्र पाकिस्तान की तरफ गया होने के कारण पाकिस्तानी सेना लगातार आगे बढ़ती गई और फाजिल्का से करीब आठ दस किलोमीटर निकट पहुंच गई थी। लेकिन वहां चौथी जाट रेजीमेंट और असम रेजीमेंट के जवानों ने अपने प्राणों की आहुतियां देकर दुश्मन को आगे बढ़ने से रोका था। देश को आजाद करवाने वाले वीर शहीदों की समाधियों के बदले दिए गांवों के कारण कमजोर हुई डिफेंस लाइन पर देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए वीर जवानों की याद में फाजिल्का में भी एक शहीदी स्मारक गांव आसफवाला में बनाया गया है जो हमेशा देश के रक्षकों की कुर्बानी की याद दिलाता है।
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