अमृत सचदेवा, फाजिल्का
कामनवेल्थ व एशियन गेम्स में देश को पदक दिलाने वाले जिले के रोविंग खिलाड़ी स्थानीय बाधा झील की हालत देख त्रस्त हैं। इसलिए वे लाखों खर्च कर चंडीगढ़ जाकर प्रशिक्षण लेने को मजबूर हैं। यह झील अब पूरी तरह से सूख चुकी है और पंचायत के सहयोग से यहां खेती की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि एशियन गेम्स में जलालाबाद व फिरोजपुर के करीब 36 रोविंग खिलाड़ियों ने राष्ट्र स्तरीय मुकाबलों में गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। इसके अलावा मंजीत सिंह ने एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल व लक्ष्मण सिंह ने राष्ट्रीय सतर पर गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। इन खिलाड़ियों में ज्यादातर खिलाड़ी राय सिख बिरादरी से संबंधित हैं। इस बिरादरी के लोग दरिया के किनारों पर ही बसते हैं और अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते हैं। बेहद दुर्भाग्य की बात है कि इन रोविंग खिलाड़ियों को अपने गृह क्षेत्र में ही नौकायन की सुविधा प्राप्त नहीं है। फिरोजपुर जिले के अधिकांश भागों में सतलुज दरिया में पानी हमेशा नहीं रहता। वहीं किसी समय सतलुज दरिया से रिचार्ज होने वाली बाधा झील भी अब सूख चुकी है। यदि यह झील फिर से सजीव हो जाए तो खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है।
झील को संजीव करने की मांग को लेकर फाजिल्का के सामाजिक संगठनों व इंटरनेशनल रोविंग फेडरेशन चंडीगढ़ ने फिरोजपुर के डीसी को पत्र लिखकर बाधा झील में हो रही खेती बंद करवाने की मांग की है। समाजसेवी संस्था ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव नवदीप असीजा ने बताया कि उनकी संस्था से जुड़े सौ लोगों ने भी डीसी को पत्र लिखा है। इसके अलावा करीब 120 लोगों ने आनलाइन शिकायत के जरिए बाधा झील में पानी भरने के साथ उसके आसपास हो रहे अवैध निर्माण को हटा इस प्राकृतिक स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की है।
इस बारे में डीसी केके यादव ने कहा कि फाजिल्का में पर्यटन के विकास के लिए 75 लाख का फंड तो मंजूर हुआ है, लेकिन वह फंड रूरल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए मिला है। बाधा झील को डेवलप करने के लिए फंड मिलते ही उसे भी रिचार्ज किया जाएगा, ताकि पर्यटन के साथ-साथ नौकायन को भी बढ़ावा मिल सके।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_7302346.html
Friday, February 11, 2011
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