यह मुआवजा किसानों को पिछले 14 साल से नहीं मिल रहा। बार्डर एरिया संघर्ष कमेटी के नेता कामरेड शक्ति, बार्डर एरिया विकास फ्रंट के अध्यक्ष बलजिन्द्र सिंह और सचिव लीलाधर शर्मा ने बताया कि 1989 में सरकार द्वारा सरहदी जिलों फिरोजपुर, अमृतसर, गुरदासपुर और तरनतारन में कोबरा तार लगाई गई थी। जिस कारण हजारों किसानों की कृषि योग्य भूमि तारबंदी के पार आ गई। जिससे किसानों की परेशानियां बढ़ गई। उन्होंने बताया कि किसान जहां 24 घंटे अपने खेतों की रखवाली करते थे, तारबंदी के बाद वे मात्र आठ घंटे ही अपने खेत की रखवाली कर पाते हैं। इसके चलते उनके खेत असुरक्षित हो गए। उन्होंने बताया कि इस कारण कृषि कम होने लगी। इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। उस समय मुख्य सियासी सचिव एमएल कपूर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया। जिसने फैसला दिया कि तारबंदी के पार किसानों को 2500 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा।
गांव मुहार जमशेर के पूर्व सरपंच हरबंस सिंह ने बताया कि उन्हें सिर्फ दो तीन साल ही मुआवजा दिया गया। इसके बाद 1997 से लेकर आज तक मुआवजा नहीं मिला। जिससे किसानों की हालत बदतर हो गई। कामरेड शक्ति ने बताया कि किसानों को मुआवजा देने की मांग को लेकर उनका संगठन संसद भवन का घेराव कर चुका है और इस बारे में गृह सचिव व सुरक्षा विभाग को भी मांग पत्र दिया गया है। अब उन्हें उम्मीद है कि अगले बजट में किसानों के लिए स्पेशल फंड पास किया जाएगा। उन्होंने यह मांग भी की है कि किसानों का मुआवजा 5000 रुपए किया जाए। इससे किसानों की हालत में कुछ सुधार होगा।
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