जागरण संवाददाता, फाजिल्का
देखने में भले चंगे लगने वाले लोग एक बिस्तर पर पड़े मरीज से भी ज्यादा बीमार हैं, इसका पता उम्र के 40 बसंत देखने के बाद से चलने लगता है। चालीस साल उम्र में ही बढ़ रहे हृदय रोगियों, हड्डी व जोड़ों के रोगियों और अनेक प्रकार की बीमारियों के शिकार लोग न केवल जल्द बूढ़े हो रहे हैं बल्कि 60-65 बरस की उम्र में मृत्यु का शिकार भी हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण लोगों का बिगड़ चुका रहन-सहन है। यह उद्गार डा. स्वामी भागेश्वर ने रविवार को बीकानेरी रोड पर एक नि:शुल्क हड्डी व जोड़ जांच शिविर के बाद 'दैनिक जागरण' के साथ बातचीत में प्रकट किए।
डा. भागेश्वर ने बताया कि उनके द्वारा जांचे 200 सौ मरीजों में से 180 से अधिक मरीज किसी न किसी हड्डी व जोड़ों के रोग से पीड़ित पाए गए हैं। उनमें यूरिक एसिड की समस्या वाले मरीजों की संख्या भी खासी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह रोजाना टूथ ब्रश करना व नहाना जरूरी है, उसी तरह रोजाना व्यायाम करना व खान पान और रहन-सहन में संयम बरतना भी बहुत जरूरी है। लेकिन आज के जमाने में लोग काम पर ज्यादा और अपनी सेहत की ओर कम ध्यान देते हैं। सही समय पर सोना नहीं, सुबह जल्द उठना नहीं और जिस समय जो भी सही गलत मिला, अपनी जीभ के स्वाद के लिए उसे खा लेना आजकल लोगों की दिनचर्या में शामिल हो गया है। तली वस्तुएं खाने से लोग यूरिक एसिड की समस्या के शिकार हो रहे हैं। धूम्रपान जहां लोगों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है वहीं हड्डियों व नाड़ियों को भी कमजोर बना रहा है। सबसे ज्यादा प्रभावित रासायनिक खादों और स्प्रे से तैयार फसलें इंसान का शरीर खोखला कर रही हैं। रही सही कसर इंसान खुद खान-पान, रहन सहन में संयम न बरत कर और व्यायाम से दूर होकर पूरी कर रहा है। रात को भोजन के बाद और सुबह उठकर सैर व व्यायाम करने की आदत लोगों को कई बीमारियों से बचा सकती है।
Monday, February 21, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment