इस बार क्षेत्र के लोगों को उम्मीद है कि अगले बजट में फाजिल्का को एक्सप्रेस रेल जरूर मिलेगी। गौर हो कि फाजिल्का में 1886 में रेलगाड़ी आ गई थी। पहले यहां सेे पैसेंजर गाडियां चलती थी, मगर करीब एक दशक पूर्व से यहां से डीएमयू रेल चलाई जा रही है, लेकिन उसके साथ डिब्बों की कमी तो खटकती ही है, साथ ही यात्रियों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि गाड़ी में शौचालय तक नहीं बनाया गया। यात्री प्रदीप कुमार ने बताया कि वह बठिंडा से अपने बच्चों के साथ फाजिल्का पहुंचा है, लेकिन डीएमयू गाड़ी में शौचालय की सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। फिरोजपुर तक का रोजाना सफर करने वाले सोहन लाल ने बताया कि डिब्बों और शौचालय की कमी के कारण यात्री बहुत परेशान हैं। उन्होंने बताया कि यहां से पैसेंजर गाड़ी सिर्फ रेवाड़ी के लिए ही चलती है। अन्य शहरों में एक्सप्रेस रेल गाडिय़ां चलाई जा रही हैं, लेकिन फाजिल्का अभी तक डीएमयू गाड़ी तक ही अटका हुआ है।
राजधानी और धार्मिक स्थानों से जोड़ों रेल : नॉर्दर्न रेलवे पेसेंजर समिति के अध्यक्ष डा. अमर लाल बाघला ने बताया कि 1990 से पूर्व फाजिल्का से मीटर गेज गाड़ी चलती थी। इसके बाद यह रेल बंद कर दी गई। इस कारण फाजिल्का से मुक्तसर के रेल रास्ते में आने वाले सभी स्टेशन नीचे रह गए हैं। उन्होंने इन्हें ऊंचा करवाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि फाजिल्का से कोटकपूरा तक 4एफके सुबह तीन बजे फाजिल्का से रवाना होती है। वह गाड़ी सुबह पंजाब मेल गाड़ी से यात्रियों का मेल नहीं करवाती। इस कारण यात्रियों को परेशानी होती है।
इसके बाद सुबह 8:30 बजे रेलगाड़ी रवाना होती है। इस कारण खासकर मुलाजिमों को भारी परेशानी होती है और वे समय पर अपने कार्यालयों में नहीं पहुंच सकते। उन्होंने बताया कि मुक्तसर तक कोई सीधा मार्ग नहीं है, जहां से यात्री बसों में सफर कर सकें, इसलिए उन्हें रेल में ही सफर करना पड़ता है।
समिति की ओर से यह भी मांग की गई है कि श्रीगंगानगर से दिल्ली, चंडीगढ़, हरिद्वार और अमृतसर तक भी सीधी रेलगाड़ी चलाई जाए जो वाया अबोहर फाजिल्का से होकर चले। इस बारे में वह डीआरएम, नॉर्दर्न रेलवे के जनरल मेनेजर और चेयरमैन को इस बारे में मिल चुके हैं
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