लगभग 65 वर्ष बाद फाजिल्का में बसंत पंचमी का पर्व लड़कों के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हर्षोल्लास से मनाया गया। यह आयोजन ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन, फाजिल्का विरासत भवन, शहीद भगत सिंह स्पोर्ट्स क्लब व सरहद सोशल वेलफेयर सोसायटी की ओर से किया गया।
एसोसिएशन के संरक्षक डा. भूपेंद्र सिंह ने बताया कि बसंत पंचमी शहादत और वीरता का पर्यायवाची है। इसका संबंध वीर हकीकत राय की बलिदान, शहीद भगत सिंह व मौसम से है। इस दौरान पतंगबाजी की प्रतियोगिता करवाई गई, जिसमें छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया। सरकारी स्कूल के आसमान में पतंगबाजी के अनेक आकर्षक नजारे देखने को मिले। लड़कियों ने भी पतंगें उड़ाकर पतंग महोत्सव को यादगार बनाया। प्रतियोगिता में पहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे प्रतियोगियों को नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। प्रतियोगियों में कौशल पहले, तरुणजीत दूसरे, नरेश व रंजीत सिंह तीसरे स्थान पर रहे। प्रथम विजेता को 31 सौ, दूसरे को 21 सौ व तीसरे स्थान पर रहे दो प्रतिभागियों को 11 सौ रुपये का पुरस्कार प्रदान किया गया। एक बुजुर्ग मोहन लाल भूसरी जो पिछले 56 साल से लगातार बसंत पंचमी पर पतंग उड़ाने के लिए विख्यात हैं, ने भी अपने पोते ऋतिक के साथ पतंगबाजी मुकाबले में भाग लिया। फाजिल्का को जिला बनाने की मांग लिखी पतंग भी आसमान में उड़ा। इसमें फाजिल्का वासियों की आवाज बुलंद की गई। आयोजकों ने बुजुर्ग को सम्मानित किया। उन्होंने घोषणा की कि बसंत पंचमी पर्व हर साल मनाया जाएगा। प्रतियोगिता के बाद विद्यार्थियों ने मेरा रंग दे बसंती चोला गीत गाया व नृत्य किया। आयोजन में एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश चंद्र कुक्कड़, नवदीप असीजा, डा. एएल बाघला, लक्ष्मण दोस्त, एमएस बेदी, पंकज धमीजा, सोसायटी के अध्यक्ष राकेश नागपाल, विरासत भवन के संयोजक पम्मी सिंह, प्रिंसिपल गुरदीप करीर, कर्ण गिलहोत्रा, डा. रजनीश कामरा, सुशील गुंबर सहित आयोजनकर्ता संगठनों के पदाधिकारी व सदस्य मौजूद थे।
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